बनारस टाकीज, बी एच यू से अस्सी की जुबानी है
कहानी अनुराग डे, जयवर्धन, संजय, राम प्रताप दूबे, राजीव पांडे और शिखा की है| बनारस टाकीज का एक एक किरदार बहुत ही रोचक और अपने शैली में कहानी में बना रहता है|
अगर आपने बनारस में वक़्त बिताया है तो कहानी के डायलाग आपको लोट पोट करेगी-
"कमरा नम्बर-88 में नवेन्दु जी से भेंट कीजिये. भंसलिया का फिलिम, हमारा यही भाई एडिट किया था. जब ससुरा, इनका नाम नहीं दिया तो भाई आ गये ‘लॉ’ पढ़ने कि ‘वकील बन के केस करूँगा.’ देश के हर जिला में इनके एक मौसा जी रहते है|"
बनारस टाकीज में अच्छी कहानी के हर तत्व है; जैसे प्यार में जद्दोजेहद, तकरार, दोस्तों में रार, क्रिकेट और तो और बम ब्लास्ट भी| संजय तो पीट भी गया था| सीनियर-जूनियर के बीच लगान जैसा मैच|
पूरी कहानी आपको अंत तक बांधे रखने में सफल रहेगी, हॉस्टल के खट्टे मीठे यादों को तारो ताज़ा करने के साथ ही बनारस के देशी अंदाज़ के एक बार जरुर पढ़े |
रिव्यु/ समीक्षा: 4/5
कहानी ****
किरदार ****
डायलाग ****
क्यों पढ़े: बनारस को समझने में आसानी होगी| साथ ही खुबसूरत शहर का दीदार कहानी के माध्यम से कर सकेंगे|
ना पढने की वजह: अगर बनारस की भाषा से एतराज़ हो तो ये किताब आपके लिए बोझिल होगी|
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